
नेताजी फाउण्ड़ेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने दक्षिणी बाबा के मन्दिर पहुंच कर देश में खुशहाली की कामना
-बाबा के मन्दिर प्रांगण में देव झुलनी एकादशी बुधवार को भव्य मेले का हुआ आयोजन
-पुखराज परिहार-
सिरोही।”भारत रत्न” नेताजी सुभाषचन्द्र बोस राष्ट्रीय सेवा समिति(नेताजी फाउण्ड़ेशन) मुख्यालय सिरोही के संस्थापक अध्यक्ष लुंबाराम मेघवाल ने कहा कि साम्प्रदायिक सद्भावना व कौमी एकता के प्रतीक लोक देवता भगवान विष्णु जी के अवतारी बाबा रामसा पीर ने कलयुग में पृथवी लोक पर शूरवीरों की पावन धरा राजस्थान में अवतरित होकर राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दिया हैं।

वे बाबा रामसा पीर के अवतरण दिवस पर मंगलवार को सिरोही के दक्षिणी मेघवाल वास स्थित बाबा के मन्दिर में दर्शनार्थ पहुंच कर चरणों में धोक लगाते हुए मेघवाल समाज के पंचों के समक्ष अपने विचार प्रकट कर रहे थे।
नेताजी फाउण्ड़ेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष लुम्बाराम मेघवाल ने कहा कि बाबा रामदेव जी ने बगैर किसी भेदभाव के समानता के आधार पर सभी जाति-धर्मों में आपसी सामंजस्य स्थापित कर शांति व सौहार्द का संदेश देकर न केवल भारत बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कल्याणकारी मार्ग प्रशस्त किया।

उन्होंने मन्दिर में उपस्थित मेघवाल समाज के पंचों को बाबा रामदेव जी के अवतरण दिवस की बधाई व शुभकामनाएं देते हुए बाबा से देश में खुशहाली की कामना की।
मेघवाल ने इस मौके पर 23 साल पहले स्मृतियों को ताजा करते हुए कहा कि बाबा रामदेव जी के इस मन्दिर में अपने हाथों से ही दिवारों पर बाबा रामदेव,डाली बाई व हरजी भाटी सहित अन्य के चित्र बनाकर मन्दिर को कलाकृतियों से सजाया गया था तब मेघवाल समाज के पंच स्वर्गीय होलाराम डांगी ने सुन्दर चित्रकारी की सराहना व प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मुझे आज ही के पावन दिवस पर सम्मानित किया था।मेघवाल समाज के पंच व बाबा रामदेव के परम भक्त भगाराम मेघवाल इस मौके पर राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ रहे।
सिरोही में बाबा रामदेव जी के मंदिर प्रांगण में प्रतिवर्ष की भांति बुधवार को देव झुलनी एकादशी पर्व पर भव्य मेले का आयोजन हुआ।मेले की तैयारियों के निमित्त समूचे मंदिर प्रांगण को सुन्दरता के लिए रंग-रोगन के साथ झंड़ों व अन्य सामग्रियों से सजाया गया।

राष्ट्रीय अध्यक्ष मेघवाल ने मन्दिर में आशीर्वाद लेते हुए कहा कि बाबा की महिमा अपरम्पार व न्यारी हैं।समूचा संसार बाबा को नमन करता हैं।उन्होंने बाबा का गुणगान इन पंक्तियों से कर अपनी वाणी को विराम दिया कि…..
’’सायर सुत मंगनी रा जाया,ज्यारी महिमा भारी,
भेंट कियो सुत अजमलजी ने,सायर ने बलिहारी।
मेघरिखा संग तंवर वंश रा,भाग जागिया भारी,
दुनिया जाणे रामदेवजी ने अजमल घर अवतारी’’।।






