
नेताजी फाउण्ड़ेशन ने राष्ट्रीय संविधान दिवस की 76 वीं वर्षगाठ आदिवासी क्षेत्र में मनाई
-राष्ट्रीय अध्यक्ष लुम्बाराम मेघवाल ने फाउण्ड़ेशन के कार्यकर्ताओं को अपने विचारों किया लाभान्वित
-पुखराज परिहार-
सिरोही। ’’भारत-रत्न’’ नेताजी सुभाषचन्द्र बोस फाउण्ड़ेशन एवं अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण नेताजी सुभाष कल्याण कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लुम्बाराम मेेघवाल ने राष्ट्रीय संविधान दिवस की 76 वीं वर्षगांठ पर बुधवार को पिण्डवाडा उपखंड के आदिवासी बाहुल्य ऐसाऊ में दौरा कर नेताजी फाउण्ड़ेशन के कार्यकर्ताओं को भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर का स्मरण करते हुए अपने कांतिकारी विचारों से लाभान्वित किया।उन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि जब हमारा भारत गुलाम था तो नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के क्रांतिकारी नारे ’’तुम मुझे खून दो,मैं तुम्हे आजादी दूंगा।’’ से अंग्रेज इंडिया छोड़कर भागने लगे।इस प्रकार नेताजी ने देश को आजादी के लिए दया की भीख पर नहीं बल्कि यह आजादी उन्होंने उनसे छीनकर ली है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष मेघवाल ने कहा कि भागते हुए अंग्रेजो ने पंडित जवाहरलाल नेहरु से पूछा कि हमने जो शासन दिया हैं वैसा आपके भारत का संविधान कौन बनायेगा तब पं.नेहरु ने डॉ.बी.आर.अम्बेडकर की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ये हमारे भारत का संविधान बनायेंगे।
मेघवाल ने विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर एक महान समाज सुधारक एवं सामाजिक भेदभाव के विरूद्ध अभियान चलाने वाले सामाजिक समरसता के पुरोधा एवं आधूनिक भारत के नवनिर्माण शोषित एवं वंचित महिलाओं के मुक्तिदाता,ज्ञान के प्रतीक,विश्व रत्न एवं प्रेरणा स्त्रोत,कर्तव्यनिष्ठ प्रतिमूर्ति के धनी थे।बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर ने 26 नवम्बर 1949 को भारत का संविधान बनाया।वे इस संविधान सभा के अध्यक्ष थे एवं उन्होंने देश की आजादी के लगभग 02 साल बाद भारत के लचीले संविधान का प्रारूप रखा, संविधान बनाने में 02 साल 11 माह 18 दिन का समय लगा और आखिरकार 26 जनवरी 1950 को भारत को पूर्ण लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया।इस प्रकार भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर ने जहां एक ओर भारत को एक लचीला संविधान प्रदान किया और विश्व स्तर पर ऐतिहासिक ख्याति प्राप्त की।मेघवाल ने जोर देते हुए कहा कि शिक्षित बनो,संघर्ष करो, संगठित रहो का नारा देने वाले महामानव अम्बेडकर ने शिक्षा के क्षेत्र में 32 डिग्रीयां व 08 भाषाओं की जानकारी हासिल की थी। बहुजन समाज में पैदा हुए अम्बेडकर जी ने अपना सारा जीवन बहुजन व पिछडों को समर्पित किया।दिन दुखियों के प्रति उनके दिल में करूणा व दयालुता का भाव हमेशा बना रहा।ऐेसे महामानव के प्रति आजाद भारत उनका चिरऋणी है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि इस प्रकार आजाद भारत की नीव की याद व भारतीयों को यह संविधान शक्ति प्रदान करता है।यह नागरिक चेतना और लोकतांत्रित संकल्प का जन-मन उत्सव हैं।उन्होंने कहा कि 09 दिसम्बर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक हुई तथा 26 नवम्बर 1949 को संविधान अंगीकृत किया गया। मेघवाल ने कहा कि डॉ.बी.आर.अम्बेडकर संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष ही नहीं वे सामाजिक न्याय के प्रखर तार्किक और सैद्धान्तिक स्वर थे।सामाजिक समरसता के पुरोधा ने आर्थिक स्तर तथा समानता को विकसित के साथ संविधान न केवल एक औपचारिक स्मृति हैं,बल्कि उन मूल्यों,आदर्शो और संकल्पों का वार्षिक पुर्नमूल्यांकन भी है,जो हमारे लोकतंत्र की नीव व आत्मा है। संविधान ने भारत को एक आधुनिक समतामूलक लोकतांत्रिक गणराज्य के स्थापित करने में व नागरिको के अधिकार,अवसर और गरीमा की सुरक्षा सुनिश्चित की है।संविधान एक पवित्र दस्तावेज है।इसे राजनीतिक दृष्टिकोण को संकीर्ण परिधि में नहीं देखा जाना चाहिए।चूंकि यह भारत की आत्मा है।
इस अवसर पर मेघवाल ने मौजूद नव मनोनीत जिलाध्यक्ष रमेश रावल को जिले में अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों के हितों को सर्वोच्च वरियता व प्राथमिकता देने के निर्देश दिये तथा नेताजी फाउण्ड़ेशन की सिरोही जिले की शीघ्र नई कार्यकारिणी का गठन करने की सलाह दी।इस मौके पर नेताजी फाउण्ड़ेशन के कई कार्यकर्ता मौजूद थे।





